Waheeda Rehman Will Be Given Dadasaheb Phalke Award, Read To Know Her Story And Unknown Facts About Waheeda Rehman
Waheeda Rehman: अपनी पहली ही फिल्म से पहले जब इन्हें अपना नाम बदलने के लिए कहा गया था तो इन्होंने कहा था ‘नहीं’ और जब गाने के लिए लेस वाला ब्लाउज दिया गया तो भी इन्होंने कहा ‘नहीं’, फिल्म के डायरैक्टर कहने लगे थे कि यह लड़की फिल्मों में ज्यादा दिन टिक नहीं पाएगी. यह वही लड़की है जिसे जल्द ही दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award) मिलने वाला है. हम बात कर रहे हैं टाइमलेस ब्यूटी वहीदा रहमान की. आज इस वीडियो में जानेंगे वहीदा जी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से.
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वहीदा रहमान भरतनाट्यम जानती थीं और फिल्म रोजुलु मरायी में उनके नृत्य को खूब पसंद किया गया था. लेकिन, गुरु दत्त (Guru Dutt) ने इस फिल्म को देखे बिना ही एक मुलाकात के आधार पर वहीदा रहमान को अपनी फिल्म के लिए साइन कर लिया था. आगे चलकर गुरु दत्त जी की फिल्मों ने ही वहीदा को बेस्ट एक्ट्रेस बनाने में मदद की थी.
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वहीदा रहमान को फिल्म में साइन करते समय गुरु दत्त और उनकी टीम ने उन्हें नाम बदलने के लिए कहा था. कहा गया कि यह नाम नहीं जमेगा कुछ और रखना होगा, जैसे युसुफ यहां दिलीप कुमार (Dilip Kumar) बन गए हैं और मुमताज जेहान मधुबाला. लेकिन, वहीदा ने कहा “वो वो हैं और मैं मैं हूं.” वहीदा अपने पर अड़ गईं और नाम नहीं बदला.
अपने कोंट्रेक्ट में वहीदा रहमान ने यह ऐड करने की भी मांग रखी कि उन्हें कोई कोस्ट्यूम अच्छा नहीं लगा तो वह उसे नहीं पहनेंगी और उन्होनें फिल्म CID में एक लेस वाला ब्लाउज पहनने से मना कर दिया था और पूरी टीम के सामने अडिग रहीं और आखिर उस ब्लाउज पर चुनरी लपेटकर ही कैमरे के सामने आईं.
एक और कहानी है जो फिल्म प्यासा (Pyaasa) से जुड़ी है. वहीदा रहमान पर फिल्म के आखिर में एक गाना फिल्माया गया था. वहीदा ने इस गाने को लेकर कहा था कि गाना अच्छा है लेकिन बोरिंग है. संगीतकार एसडी बर्मन ने पूछा कि यह बोरिंग क्यों है तो वहीदा रहमान ने बताया कि उन्हें लगता है गाना हीरो के लिए है और हीरो मर चुका है. तो यह गाना और रोना स्क्रिप्ट में अच्छा नहीं लगेगा. आखिर में गुरु दत्त ने इस गाने को फिल्म से निकाल दिया था.
वहीदा रहमान और देव आनंद (Dev Anand) की ट्यूनिंग आपस में बेहद अच्छी थी. वो वहीदा ही थीं जिन्होंने देव आनंद के साथ सबसे ज्यादा फिल्में यानी 7 फिल्में की थीं. वहीदा जी को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिलने की घोषणा भी देव आनंद जी के जन्मदिन पर ही हुई थी. दोनों साथ में एक फिल्म कर रहे थे ‘सोल्वां साल’ जिसमें एक बार फिर कपड़ों से जुड़ा किस्सा हुआ था. वहीदा ने अपनी मर्जी से कपड़े पहने थे और डायरेक्टर ने कहा था यह तुम्हारी तीसरी-चौथी फिल्म है और शायद आखिरी भी होगी. लेकिन, देव आनंद ने वहीदा का साथ दिया था और कहा था कैरेक्टर के हिसाब से वहीदा की कपड़ों की चॉइस एकदम सही है.
वहीदा जी की फिल्मों के गीतों की बात करें तो उनकी भी अलग ही बात थी. फिल्म नील कमल के गाने ‘बाबुल की दुआएं लेती जा’ गाते हुए खुद म्यूजिक लेजेंड रफी साहब (Mohammad Rafi) रो पड़े थे. यह वही फिल्म थी जिसके लिए वहीदा जी को बेस्ट एक्ट्रेस का दूसरा फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला था.